महायज्ञ का पुरस्कार — Questions and Answers

Mahayag Ka Puraskar - ICSE - Class 9 & 10 - Q&A

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( i ) ‘अकस्मात् दिन फिरे और सेठ को गरीबी का मुह देखना पड़ा।” संगी-साथियों ने भी मुँह फेर लिया।’

(क) सेठ के चरित्र की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर — सेठ अत्यंत विनम्र, उदार, धर्मपरायण, कर्तव्यनिष्ठ और स्वाभिमानी व्यक्ति था। कोई भी उनके दवार से निरास नहीं लौटता था | भंडार का दवार सबके लिए खुला था |

(ख) ‘संगी — साथियों ने भी मुँह फेर लिया पंक्ति द्‌वारा समाज की किस दुर्बलता की ओर संकेत किया गया है ?

उत्तर- इस पंक्ति दवारा मतलबी और स्वार्थी समाज की ओर संकेत किया गया है। जब सेठ के पास सब कुछ था तब सभी उसके पास आते थे क्योंकि उन्हें फायदा होता था। लेकिन सेठ को जब सबकी जरूरत थी किसी ने साथ न दिया क्योंकि लेना सभी जानते हैं, देना नहीं ।

(ग) उन दिनों क्या प्रथा प्रचलित थी ? सेठानी ने सेठ को क्या सलाह दीं ?

उत्तर- उन दिनों यज्ञों के फल का क्रय-विक्रय करने की प्रथा प्रचलित थी। छोटा-बड़ा जैसा यज्ञ हो, उनके अनुसार मूल्य मिलता था । सेठानी ने सेठ को सलाह दी कि “न हो तो एक यज्ञ ही बेच डालो।”

(घ) सेठानी की बात मानकर सेठ जी कहाँ गए ? धन्ना सेठ की पत्नी के बारे क्या अफवाह थी?

उत्तर- सेठानी की बात मानकर सेठ कुंदनपुन नगर के एक बहुत बड़े सेठ ‘धन्नासेठ’ के पास गए। धन्ना सेठ की पत्नी के बारे अफवाह थी कि सेठानी को दैवी शक्ति प्राप्त है, जिससे वह तीनों लोकों की बात जान लेती हैं।

(ii) ‘सेठ जी; यज्ञ खरीदने के लिए तो हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना पड़ेगा।’

(क) वक्ता कौन है? उसका उपर्युक्त कथन सुनकर सेठ जी को क्यों लगा कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है?

उत्तर — वक्ता धन्ना सेठ की पत्नी है। उपर्युक्त कथन सुनकर सेठ जी को उनका मजाक उड़ाया जा रहा है ऐसा लगा क्योंकि उन्होंने बरसों से कोई यज्ञ नहीं किया था।

(ख) सेठानी के अनुसार सेठ जी ने कौन- सा महायज्ञ किया था ?

उत्तर — सेठानी के अनुसार सेठ जी ने रास्ते में स्वयं न खाकर चारों रोटियाँ भूखे कुले को खिला दी यहीं महायज्ञ था। क्योंकि धन-दौलत लुटाकर किया गया यज्ञ, सच्चा यज्ञ नहीं है, निःस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा यज्ञ महायज्ञ हैं।

(ग) सेठानी की बात सुनकर यज्ञ बेचने आए सेठ जी की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- सेठानी की बात सुनकर यज्ञ बेचने आए सेठ मानो आसमान से गिरे । उन्होंने सोचा भूखे को अन्न देना सभी का कर्तव्य है। उसमें यज्ञ जैसी क्या बात । उन्हें मानवोचित कर्तव्य का मूल्य लेना उचित न लगा। वे वापस आ गए।

(घ) यज्ञ बेचने आए सेठ के चरित्र की विशेषताएँ बताइए ।

उत्तर- यज्ञ बेचने आए सेठ अत्यंत विनम्र, उदार, धर्मपरायण, कर्तव्यनिष्ठ और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। कोई भी उनके द‌द्वार से निराश नहीं लौटता था।

(iii) ‘सेठ ने आद्‌योपांत सारी कथा सुनाई। कथा सुनकर सेठानी की समस्त वेदना जाने कहा विलीन हो गई।’

(क) सेठ जी को खाली हाथ वापस आते देखकर सेठानी की क्या प्रतिक्रिया हुई और क्यों ?

उत्तर- सेठ जी को खाली हाथ आते देखकर सेठानी आशंका से काँप उठी क्योंकि वो बड़ी-बड़ी आशाएँ लगाए बैठी थीं। बोली, “क्यों धन्ना सेठ नहीं मिले ?”

(ख) सेठ ने आद्‌योपांत जो कथा सुनाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- सेठ ने कहा जब मैं धन्ना सेठ के यहाँ पहुँचा तो उसकी पत्नी ने मुझसे कहा, यदि अपना महायज्ञ बेचोगे तो हम खरीदने के लिए तैयार है। जब मैंने कहा मैंने तो कई सालों से कोई यज्ञ ही नहीं किया। सेठानी ने कहा आज रास्ते में स्वयं न खाकर चारों रोटियाँ भूखे कुत्ते को खिला दीं, यह महायज्ञ नहीं तो और क्या है। निः स्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा यज्ञ- महायज्ञ है। क्या आप इसे बेचने के लिए तैयार हैं? भूखे को अन्न देना मेरा कर्तव्य है और अपने कर्तव्य का मूल्य लेना मुझे उचित न लगा। मैं वापस लौट आया।

(ग) सेठ जी की बात सुनकर सेठानी की समस्त वेदना क्यों विलीन हो गई ?

उत्तर — सेठ जी की बात सुनकर सेठानी की सारी वेदना विलीन हो गई। हृदय उल्लसित हो उठा। उसने सोचा धन्य है मेरे पति ! विपत्ति में भी अपना धर्म नहीं छोड़ा।

(घ) ‘महायज्ञ का पुरस्कार’ कहानी के द्वारा लेखक ने क्या सन्देश दिया है?

उत्तर- ‘महायज्ञ का पुरस्कार’ कहानी के द्वारा लेखक ने हमें संदेश दिया है कि सच्ची कर्तव्य भावना और निःस्वार्थ भाव से किया गया कर्म किसी महायज्ञ से कम नहीं होता। इसका फल अवश्य मिलता है। स्वयं कष्ट सहकर दूसरों के कष्टों का निवारण करना मानव-धर्म है। यज्ञ कमाने की इच्छा से धन-दौलत लुटाकर किया गया यज्ञ महत्वहीन होता है।

Sahitya Sagar Workbook Questions and Answers

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