संदेह - SANDEH - Questions and Answers

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निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए

 

1. “मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से बंचित हो जाता है।”

 

(क) वक्ता एवं श्रोता कौन हैं? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई?

उत्तर- वक्ता रामनिहाल है और श्रोता श्यामा है। उसने श्यामा से अपने मन की बात बताते हुए कहाँ तुम्हारे सामने बालकों का झुंड हँसता, खेलता, लड़ता, झगड़ता है और तुमने जैसे बहुत-सी देवप्रतिमाएँ, श्रृंगार से सजाकर हृदय की कोठरी को मंदिर बना दिया, किंतु मुझको वह कहाँ मिलता। भारत के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में, छोटा-मोटा व्यवसाय, नौकरी और पेट पालने की सुविधाओं को खोजता हुआ जब तुम्हारे घर में आया, तो मुझे विश्वास हुआ कि मैंने घर पाया। मैं जब से संसार को जानने लगा, तभी से मैं गृहहीन था। मेरा संदूक और ये थोड़ा-सा सामान, जो मेरे उत्तराधिकार का अंश था, अपनी पीठ पर लादे हुए घूमता हूँ। ठीक उसी तरह, जैसे कंजर अपनी गृहस्थी टट्‌टू पर लादे हुए घूमता है।

 

(ख) अपनी महत्वाकांक्षा तथा उन्नतिशील विचारों के बारे में वक्ता ने क्या कहा ?

उत्तर – “मेरी महत्वाकांक्षा, मेरे उन्नतिशील विचार मुझे बराबर दौड़ाते रहे। मैं अपनी कुशलता से अपने भाग्य को धोखा देता रहा। यह भी मेरा पेट भर देता था। कभी-कभी मुझे ऐसा मालूम होता कि यह दाँव बैठा कि मैं अपने - आप पर विजयी हुआ और मैं सुखी होकर चैन से संसार के एक कोने में बैठ जाऊँगा, किंतु वह मृग - मरीचिका थी।"

 

(ग) वक्ता ने श्रोता से किस घटना का उल्लेख किया ?

उत्तर - वक्ता रामनिहाल ने श्यामा से कहा मैं तुमको अपना शुभचिंतक, मित्र और रक्षक समझता हूँ, फिर तुमसे न कहूँगा, तो यह भार कब तक ढोता रहूँगा। कार्तिक की पूर्णिमा थी। मैं काम-काज खत्म कर घर जाने के लिए तैयार था कि ब्रजकिशोर बाबू ने कहा- तुम गंगा किनारे टहलने जाते हो। आज मेरे संबंधी आए हैं, तुम ही इन्हें बजरे पर बैठाकर घुमा, लाओ, मुझे समय नहीं है। मैं उन्हें घुमाने ले गया। मैंने देखा पती-पत्नी के विचार मिलते न थे। मोहन बाबू कहते थे, ब्रजकिशोर और मनोरमा मिलकर उन्हें पागल बनाना चाहते हैं जिससे ब्रजमोहन उसकी सारी सम्पत्ति का मालिक बन जाए। यहाँ मनोरमा मुझे बार-बार बुलाती हैं और मुझे जाना पड़ता है। ये चिट्ठियों का बंडल देख रही हो, यह मनोरमा ने ही लिखा है। मुझे संदेह हो रहा है, मनोरमा क्यों मुझे इस समय बुला रही है।

 

(घ) क्या आप वक्ता के उपर्युक्त कथन से सहमत हैं ? कारण सहित बताइए।

उत्तर - हाँ, मैं राम निहाल के इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि राम निहाल खुद को बहुत चतुर और समझदार समझता था। वह सोचता था वह जो कुछ भी कर रहा है बिलकुल ठीक हैं, लेकिन अधिक चतुर होने के कारण वह अपना सब काम बिगाड़ते जा रहा था। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था क्या करें, क्या नहीं। वह संदेह के द‌लदल में धंसता जा रहा था। सब खोता जा रहा था। अधिक चतुराई इनसान का सब कुछ छिन लेती है।

 

2. भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है? किंतु संसार तो दूसरे को मुर्ख बनाने के व्यवसाय पर चल रहा है।

 

(क) रामनिहाल को ब्रजकिशोर बाबू और मोहनलाल के संबंध में किस विशेष बात का पता चला ?

उत्तर- रामनिहाल को ब्रजकिशोर बाबू और मोहनलाल के संबंध में विशेष बात का पता चला कि व्रजकिशोर मोहनलाल को अदालत में पागल करार कराना चाहते हैं और उसकी सारी संपत्ति का मालिक बनना चाहते हैं, क्योंकि वे ही मोहनलाल के निकट संबंधी थे।

 

(ख) भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है? रामनिहाल ने ऐसा क्यों कहा ?

उत्तर - रामनिहाल ने ऐसा कहा क्योंकि वह खुद समझ नहीं पा रहा था कि हो क्या रहा है। सब संदेह के घेरे में फंसे हुए हैं। वहाँ मनोरमा अपने पति को पागल कह रही है। मोहनलाल अपनी पत्नी और ब्रजकिशोर पर संदेह कर रहे हैं। मोहन बाबू अपने संदेह के कारण पूरा पागल बन गए हैं। रामनिहाल इस रहस्य को समझ नहीं पा रहा था इसलिए भगवान के भरोसे छोड़ देता है।

 

(ग) मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र क्यों लिखे थे ? इन पत्रों को लेकर रामनिहाल को क्या संदेह होने लगा था?

उत्तर- मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र लिखे थे क्योंकि वह उससे सहायता चाहती थी। इन पत्रों को लेकर रामनिहाल को संदेह होने लगा कि मनोरमा उससे प्यार करती है, इसलिए उसे पत्र लिखकर बार-बार अपने पास बुलाती है।

 

(घ) रामनिहाल के हाथ में किसका चित्र था ? चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा ?

उत्तर- रामनिहाल के हाथ में श्यामा का चित्र था, क्योंकि रामनिहार मन दी मन श्यामा से प्यार करने लगा था लेकिन कहने से डरता था। चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से कहा, क्या तुम मुझसे प्रेम करने का लड़कपन करते हो? यह अच्छी फांसी लगी है तुमको। मनोरमा तुमको प्यार करती है और तुम मुझको। मन के विनोद के लिए तुमने अच्छा साधन जुटाया है। तभी कायरों की तरह यहाँ से बोरिया - बंधना लेकर भागने की तैयारी कर ली है।


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